Sri Kabir Gyan Mandir

Sri Kabir Gyan Mandir 

श्री कबीर ज्ञान मंदिर

एक परिचय

Sri Kabir Gyan Mandir Guru Maa

झारखंड के गिरिडीह में ‘श्री कबीर ज्ञान मंदिर’ स्थित है। इसकी स्थापना परम तत्त्वदर्शी, ब्रह्मज्ञानी, सिद्ध संत परम वंदनीया ‘सद्गुरु मां ज्ञान’ ने सन् 1985 में की थी। यह उनकी तपोभूमि और कर्मभूमि है। ‘सद्गुरु मां ज्ञान’ जिन्हें श्रद्धालु प्रेमी जन ‘सद्गुरु मां’ संबोधित करते हैं।

सद्गुरु मां का जन्म 1960 ई. के 25 अगस्त को एक संभ्रांत, धर्मनिष्ठ एवं प्रतिष्ठित परिवार में हुआ है। पितामह का नाम पुनीतचंद कपिस्वे, पिता का नाम गोपीकृष्ण कपिस्वे एवं माता का नाम दमयंती देवी था। ये अपने छह भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं।
Guru Maa

सद्गुरु मां में अत्यंत बाल्यावस्था से ही ईश्वर के प्रति विलक्षण भक्ति प्रकाशित होने लगी थी। उन्होंने मात्र चौदह वर्ष के अल्प वय में संन्यास लेने की घोषणा कर दी। परिवार और समाज उनकी अनहोनी और अचंभित कर देनेवाली घोषणा सुनकर जहां चकित थे, वहीं आक्रोशित भी थे।

सद्गुरु मां ने चौदह वर्ष की अवस्था में 1975 ई. को भगवान विष्णु, सद्गुरु कबीर एवं पूज्य सद्गुरु विवेक साहब की तस्वीर के साक्षीत्व में रंगीन वस्त्र त्याग श्वेत वस्त्र धारण कर शपथपूर्वक स्वयं ही संन्यास ले लिया था।

यद्यपि इस कारण उन्हें वर्षों तक समाज की आलोचना एवं कोप का भाजन बनना पड़ा, तथापि सद्गुरु मां अपने मार्ग में हिमालय की तरह अडिग रहीं। उनका ज्ञान, वैराग्य और भक्ति दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती गई।

उस समय उनके द्वारा रचित प्रेम व भक्ति के पदों को पढ़-सुनकर जन सामान्य भी परमात्म भक्ति की धारा में बहने लगते हैं। सद्गुरु मां समाज के लब्धप्रतिष्ठ, परम ज्ञानी, पूर्ण सद्गुरु हैं, जिनकी शरण में आकर मानव मात्रा परम शांति व अलौकिक आनंद की अनुभति पाता है।

नित्य बहती है सत्संग की गंगा

श्री कबीर ज्ञान मंदिर में नित्य प्रातःकाल साढ़े सात बजे से साढ़े आठ बजे तक ‘सद्गुरु मां’ की अमृतमयी वाणी में सनातन धर्म, अध्यात्म के गूढ़ रहस्यों, सफल व्यवहार की कला, मन पर विजय, कबीर वाणी, गीता, वेद, उपनिषद्, प्राचीन शास्त्रों एवं स्वानुभवों पर दिव्य सत्संग की गंगा बहती है, जिसमें आस-पास के साथ दूरस्थ स्थानों से भी सैकड़ो श्रद्धालु नित्य सत्संग का लाभ लेते हैं।
Guru Maa

आध्यात्मिक ज्ञान और शांति प्रदान के साथ-साथ सद्गुरु मां की अनेकानेक स्थूल कृतियां भी हैं, जो तीर्थरूप और दर्शनीय हैं, जिनके दर्शन से मानव परम शांति और आह्लाद की अनुभूति करता है-

सद्गुरु मां की स्थापत्य कृतियां

श्री कबीर ज्ञान मंदिर-समय के साथ परिवार और समाज भी शनैः शनैः शांत होने लगा। परिवार ने 1985 ई. में सद्गुरु मां के सुरक्षित निवास एवं सुरक्षित आध्यात्मिक यात्रा के लिए उनके नाम से एक जमीन का टुकड़ा सिहोडीह, सिरसिया, बेंगाबाद रोड पर खरीदा और आज के प्रसिद्ध ‘श्री कबीर ज्ञान मंदिर’ के निर्माण की नींव रखी।

‘श्री कबीर ज्ञान मंदिर’ सद्गुरु मां का मूर्तिमंत स्वरूप है। इसमें सद्गुरु मां के तप के साथ-साथ एड़ी-चोटी का कठोर परिश्रम तथा उनका दर्शन भी समाहित है।

गुरुगोविंद धाम-सन् 2000 ई. में सद्गुरु मां के पूज्य सद्गुरु ‘विवेक साहब’ सतलोकवासी हो गए। सद्गुरु मां ज्ञान ने उनका समाधि मंदिर का निर्माण श्री कबीर ज्ञान मंदिर परिसर में ही करवाया। साथ-साथ अपने बचपन के आराध्य भगवान विष्णु तथा आध्यात्मिक ज्ञान की नींव सद्गुरु कबीर साहब का भव्य मंदिर ‘गुरुगोविंद धाम’ का भी यहां निर्माण करवाया।
Sri Kabir Gyan Mandir Giridih

यह परम जाग्रत और पूरे भारत का एकलौता ‘गुरु गोविंद धाम’ मंदिर है, क्योंकि यहां भगवान की प्रतिमा स्वेच्छा से प्रतिष्ठापित नहीं की गई है, बल्कि सद्गुरु मां के प्रेम-भक्ति के वशीभूत हो भगवान ने स्वयं प्रेरणा पर प्रेरणा देकर, आग्रह और मनुहार करके सद्गुरु मां से इस धाम में आने की स्वीकृति ली है। भक्त और भगवान की अद्भुत लीला का यह प्रत्यक्ष प्रमाण है।

भारत माता उद्यान-श्री कबीर ज्ञान मंदिर परिसर में ही अखंड भारत के मानचित्र एवं भारत माता के भव्य विग्रह से युक्त ‘भारत माता उद्यान’ की निर्मिति सद्गुरु मां का प्रचण्ड भारत-प्रेम का परिचायक है, यहां की रंग-विरंगे पुष्पों-पौधों की मनोहारी हरियाली सदा ही सबके मन को मोहती रहती है और यह उद्यान एक संुदर दर्शनीय स्थल बन गया है।

श्री कबीर ज्ञान दर्शन-गुरु गोविंद धाम के बगल के परिसर में ‘श्री कबीर ज्ञान दर्शन’ एवं ‘मां ज्ञान श्रीपदम्’ का भव्य भवन निर्मित है, जिसमें सद्गुरु कबीर साहब के जीवन दर्शन एवं वाणियों के दिव्य म्यूरल एवं भारत के ऐसे आदर्श संतों के आकर्षक पेंटिग्स बने हुए हैं, जो सद्गुरु कबीर साहब की महिमा का गान करते नहीं थकते।

भव्य सत्संग कक्ष के फॉल्स सीलिंग में भौतिक एवं आध्यात्मिक समृद्धि दाता ‘श्री यंत्र’ का निर्माण सद्गुरु मां का अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम को दर्शाता है। ‘श्री यंत्र’ के नीचे खड़े होने या बैठने पर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे ‘श्री यंत्र’ के आशीर्वादों की अनंत फुहारों से भींगा जा रहा हो।

यह भव्य ‘श्रीयंत्र’ और यहां की संुदर लाइटिंग्स की छटा धरती पर स्वर्ग उतर आने का आभास कराती हुई मंत्रामुग्ध कर देती है। यह पावन तीर्थ परम मनोहारी एवं परम दर्शनीय है। इसके खंभों पर सद्गुरु कबीर साहब एवं सद्गुरु मां की अनमोल वाणियां उकेरित हैं, जो सहज ही दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर उन्हें सच्चा जीवन जीने की प्रेरणा देती है।

मां ज्ञान गोशाला-श्री कबीर ज्ञान मंदिर परिसर में ही ‘मां ज्ञान गोशाला’ है, जहां गायों की सेवा होती है।

श्री कबीर ज्ञान मंदिर झारखंड के दर्शनीय स्थलों में से एक है।

श्री कबीर ज्ञान मंदिर में होने वाले वर्ष भर के विशेष कार्यक्रम

श्री कबीर ज्ञान मंदिर में नित्य सत्संग के साथ वर्ष भर में अनेक भव्य और दिव्य कार्यक्रम होते रहते हैं, जिनमें प्रमुख है-

1. सद्गुरु कबीर आविर्भाव महोत्सव-सद्गुरु कबीर जयंती के अवसर पर ज्येष्ठ चतुर्दशी एवं ज्येष्ठ पूर्णिमा को दो दिवसीय वृहद् कार्यक्रम आयोजित होता है, जिसमें स्थानीय के साथ पूरे भारत से भारी संख्या में श्रद्धालु जन आते हैं और कार्यक्रम में सम्मिलित होकर धन्य३धन्य होते हैं।

2. गुरुपूर्णिमा महोत्सव-आषाढ़ पूर्णिमा का गुरु पूजन पर्व भी बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस वर्ष (2023 ई.) से गुरु पूर्णिमा को त्रिदिसीय ‘माँ ज्ञान महायज्ञ’ वार्षिक महोत्सव के रूप में विराट आयोजन का शुभारंभ किया जा रहा है।

3. सद्गुरु माँ ज्ञान जन्मोत्सव-भाद्रशुक्ल चतुर्थी को सद्गुरु मां के जन्मोत्सव के पावन अवसर पर भव्य और वृहद कार्यक्रम का आयोजन होता है, जिसमें ‘वृहद रक्तदान शिविर’ ‘निःशुल्क चिकित्सा शिविर’ आदि सामाजिक कार्यों का भी आयोजन होता है।

4. पूज्य सद्गुरु विवेक साहब की निर्वाण तिथि एवं गुरुगोविंद धाम स्थापना दिवस- माघशुक्ल तृतीया को सद्गुरु माँ के पूज्य गुरुदेव ‘सद्गुरु विवेक साहब जी’ के निर्वाण दिवस और इसी दिन (2004 ई. में) गुरु गोविंद धाम का स्थापना दिवस भी है। इस अवसर पर सद्गुरु मां की प्रेमिल छत्राछाया में विशेष समाधिपूजन होता है, जिसमें निकट-दूर के हजारों श्रद्धालु माथा टेककर श्रद्धांजली अर्पित करते हैं। इस दिन सत्संग-भजन आदि का वृहद कार्यक्रम आयोजित होता है।

इस अवसर पर जरूरतमंद क्षेत्रों में जाकर अथवा आश्रम में ही स्टॉल लगाकर वस्त्रा, कंबल, शाल, स्वेटर आदि के वितरण की सेवा भी होती है।

5. गीता जयंती-मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। अतः इस दिन गीता ग्रंथ का सामूहिक सस्वर अखंड पाठ होता है, जिसमें सैकड़ों की संख्या में व्रती पाठ में सम्मिलित होते हैं। दूसरे दिन गीता पाठ सह यज्ञ-हवन आदि विशेष कार्यक्रम होते हैं। इसमें भी स्थानीय के साथ३साथ आस३पास के भी बहुतायत श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं।

5. एकादशी संकीर्तन-प्रत्येक एकादशी को सद्गुरु मां के द्वारा अलौकिक भक्ति-भावपूर्ण प्रभु नाम संकीर्तन करवाया जाता है। इस दिन विशेष आरती-पूजन, प्रसाद वितरण होता है।

6. स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस- स्वतंत्रत दिवस एवं गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्वों के अवसर पर विशेष उत्साहपूर्वक एवं राष्ट्रभक्ति भरे भावों से ध्वजोत्तोलन एवं प्रसाद वितरण होता है।

इन वृहद् आयोजनों के अतिरिक्त श्री कबीर ज्ञान मंदिर में वर्ष भर में सनातन उत्सवों के विविध कार्यक्रम होते रहते हैं, जैसे-सरस्वती पूजा, मकर संक्रांति, नवरात्रि , रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, पितृपक्ष, दीपावली, अक्षय तृतीया, आदि विविध कार्यक्रमों से सदा ही उत्साहपूर्ण वातावरण बना रहता है।

सामाजिक कार्यक्रम

सद्गुरु मां के द्वारा ‘श्री कबीर ज्ञान मंदिर ट्रस्ट’ का संचालन किया जाता है, जिसके द्वारा अनेकानेक समाज कल्याणकारी कार्य होते रहते हैं, जिनमें-
‘मां ज्ञान कौशलम्’ में बहनों३बेटियों के लिए सिलाई, कंप्यूटर, ब्यूटीशियन, स्पोकेन इंगलिश, मेंहदी आदि विविध कला-कौशलों का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है।
‘मां ज्ञान आरोग्यम्’ में प्रति रविवार निःशुल्क चिकित्सा परामर्श गणमान्य डॉक्टर के द्वारा दिया जाता है। अति जरूरतमंदों को आवश्यक औषधियां भी निःशुल्क दी जाती है।

विविध अवसरों पर अन्न, वस्त्रा आदि का वितरण अथवा समाज के आवश्यकतानुसार विविध प्रकार के सेवाकार्य किये जाते हैं।

सद्गुरु मां के सत्साहित्यों की शृंखला

सद्गुरु मां परम विदूषी, अनुभवी और अध्यात्म मर्मज्ञ हैं। कबीर वाणी एवं अनेकानेक विविध विषयों से संबंधित आपके सत्तर से अधिक सत्साहित्य प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें प्रमुख हैं-

कबीर वाणी एवं उलटवासियों पर

सद्गुरु कबीर साहब के बीजक ग्रंथ की ‘विवेक प्रकाशिनी बीजक टीका’, सद्गुरु कबीर की लगभग चार हजार साखियों पर दो खंडों में टीका के साथ३साथ बीजक सबद पर छह खंडों में वृहद् भाष्य, कबीर वाणी एवं उलटवासियों पर अनेकानेक पुस्तकें सद्गुरु मां के द्वारा लिखित हैं, जिनमें अध्यात्म के सर्वोच्च शिखर का साक्षात्कार होता है, जो इस प्रकार है-
विवेक प्रकाशिनी बीजक टीका-

परम संत सद्गुरु कबीर साहब की मूल वाणी ‘बीजक’ पर टीका लिखनेवाली सद्गुरु ‘मां ज्ञान’ पहली महिला संत हैं। सद्गुरु कबीर साहब की बीजक वाणी जितनी दुरूह है, सद्गुरु मां की टीका उतनी ही सरल और सुगम।
  • कबीर साखी दर्पण (भाग - 1) 250.00
  • कबीर साखी दर्पण (भाग - 2) 300.00
  • अध्यात्म का आश्चर्य 210.00
  • अध्यात्म का रहस्य 280.00
  • अध्यात्म का मार्ग 120.00
  • अमृत वर्षा 120.00
  • आनंद सागर 100.00
  • अध्यात्म का शिखर 120.00
  • अनमोल साखियां 175.00
  • साधकों के लिए अमृत 175.00
  • सच्चा अध्यात्म 175.00
  • कबीर क्रांति 100.00
  • ज्योति पुरुष कबीर 75.00
  • माया महा ठगिनी हम जानी 75.00
  • कबीर की पुकार 55.00
  • घूघट के पट खोल 75.00
  • धनवंता सोई जानिये 50.00
  • पानी बीच बतासा 40.00
  • बरसै कंबल भीजै पानी 40.00
  • गुरु ने पठाया चेला 40.00
  • मच्छ बिकाने सब चले 10.00
  • संत कबीर ज्ञान भजनावली 100.00

श्रीमद्भगवद्गीता ग्रंथ पर विशाल व बेजोड़ भाष्य

श्रीमद्भगवद्गीता पर अभी तक उनके द्वारा प्रथम अध्याय से सतरहवें अध्याय तक छह खंडों में विशाल भाष्य ‘गीता ज्ञान दर्पण’ के नाम से लेखन किया जा चुका है। और अभी वे गीता के अठारहवें अध्याय पर भाष्य लेखनरत हैं।
  1. गीता ज्ञान दर्पण (भाग - 1) 300.00
  2. गीता ज्ञान दर्पण (भाग - 2) 300.00
  3. गीता ज्ञान दर्पण (भाग - 3) 30000
  4. गीता ज्ञान दर्पण (भाग - 4) 300.00
  5. गीता ज्ञान दर्पण (भाग - 5) 300.00
  6. गीता ज्ञान दर्पण (भाग - 6) 449. 00
  7. गीता ज्ञान दर्पण (भाग - 7) (लेखन क्रम में)

सनातन धर्म पर अनमोल पुस्तकें

सनातन धर्म पर भी उनकी अनेकानेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जो इस प्रकार हैं-
सच्चा हिंदू धर्म 55.00
एकै मटिया एक कुम्हारा 40.00
सनातन धर्म हमारा 40.00
उठो शूद्रो! बनो ब्राह्मण 40.00
भक्ति किसकी करें 40.00
तीसरी आंख (नया सं) 20.00
दत्तात्रोय के चौबीस गुरु 50.00
दान का पात्रा कौन? 50.00
प्रकाश उतरा आंगन में 55.00
शरणागति का चमत्कार 55.00
अध्यात्म साधकों के लिए अमृतमय
एकाग्र मन (नया सं) 149.00
 मन गोरख मन गोविंदा (न.सं) 100.00
मन को जीते जीत (न.सं) 70.00
योग की डगर 60.00

भक्ति साहित्य

  • प्रभु तो भक्ति के वशभाई 50.00
  • नवधा भक्ति (नया सं) 50.00
  • कबीर की विष्णु भक्ति 50.00
  • प्रेम: एक दिव्य अनुभूति 40.00
  • सद्गुरु कबीर और नारदीय भक्ति 100.00
  • परमात्मा हमारे हैं 10.00
  • जन सामान्य के लिए परम मित्र
  • बलिहारी गुरु आपने 60.00
  • गुरु हैं बड़े गोविंद से 60.00
  • अवगुण कहूं शराब का 75.00
  • धर्म: सुख का आधार 50.00
  • ढ़ाई आखर प्रेम का 20.00
  • चिंता क्यों (नया सं) 20.00
  • चिंता से सुख की ओर 149.00
  • परिवार में स्वर्ग 55.00
  • मेरे जीवन के चार सूत्रा 55.00
  • जिउ मत मारो बापुरा 20.00
  • गुरु ने पुकारा 9.00
  • चुभै न एकौ तीर 10.00
  • हीरा सोई सराहिये 10.00
  • तीन चमत्कारी सूत्र 60.00
  • नारी मार्गदर्शक
  • माताओं अपनी शक्ति पहचानो 55.00.
  • नारी तू नारायणी 15.00
  • विद्यार्थियों के लिए उपयोगी
  • विद्यार्थियों के लिए 85.00
  • अमृत कथाएं 55.00
  • कथा कलश 55.00
  • नारी मार्गदर्शक
  • माताओं अपनी शक्ति पहचानो 55.00.
  • नारी तू नारायणी 15.00
  • विद्यार्थियों के लिए उपयोगी
  • विद्यार्थियों के लिए 85.00
  • अमृत कथाएं 55.00
  • कथा कलश 55.00
साथ ही दो नवीन पुस्तकें, जो समस्त हिंदुओं के लिए अवश्य पठनीय एवं संग्रहनीय हैं। यह उन्हें नई सोच और नई ऊर्जा से सराबोर कर देने में सक्षम हैं, वे हैं-

सनातन धर्म में जाति का सच 85.00

हमारे श्री राम 149.00

इनका दिव्य विमोचन ‘मांँ ज्ञान महायज्ञ’ के दिव्य अवसर पर दिनांक 4.7.2023 को होना है।

सद्गुरु मां की सभी पुस्तकें एक से बढ़कर एक हैं। उनकी जादुई लेखनी ने जहां सत्तर पुस्तकें लिख डालीं हैं, वहीं अभी भी देशहितार्थ, धर्महितार्थ, जन-जन के हितार्थ उनकी लेखनी सतत चल रही है। ऐसा प्रतीत होता है, जैसे-उनकी लेखनी की नोंक पर साक्षात परमात्मा व ऋषि सत्ता ही विराजित हों। वे आगे कौन-कौन सा चमत्कार दिखलानेवाली हैं, यह तो परमात्मा, ऋषि सत्ता और सद्गुरु मां ही जानें। आप इन पुस्तकों को पढ़कर इनमें भरी दिव्यता एवं अमृतत्व का रसास्वादन लेकर धन्य-धन्य कह उठेंगे।

‘श्री कबीर ज्ञानामृत’ पत्रिका

ब्रह्मलीन संत विवेक साहब जी महाराज के आशीर्वाद एवं ब्रह्मनिष्ठ सद्गुरु मां ‘ज्ञान’ के मार्गदर्शन से प्रकाशित प्रेम, ज्ञान, सद्भावना विस्तारक त्रैमासिक आध्यात्मिक पत्रिका। सदस्यता शुल्क-

वार्षिक - 180रु मात्र॰,

पंचवर्षीय - 300रु मात्र,

दसवर्षीय - 600रु मात्र

विशेष जानकारी हेतु संपर्क करें-

श्री कबीर ज्ञान प्रकाशन केंद्र,

संत कबीर ज्ञानमार्ग

सिहोडीह सिरसिया

815302 (झारखंड)

संपर्क सूत्र - ३9431453090, 6204900727, 9155950505
 
’नए प्रकाशन में मूल्य परिवर्तन हो सकता है। 500 रु. या इससे अधिक की पुस्तकें मंगाने पर डाकखर्च निःशुल्क।


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